15. विषय - चुपके चुपके रात - दिन आँसू बहाना याद है.....
विषय-चुपके चुके रात दिन आँसू
बहाना याद है.....
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तुम मेरी जिंदगी में आए बहार बनकर।
तुम मेरा साथ दोगे,सदा परछाईं बनकर।।
खिलेगें फूल खुशियों के,गुलशन महकाने को।
फैलेगी सुगंध सदन में, वंश वृद्धि करने को।।
कितने किए थे वादे एक दूजे को हमने रिझाने को।
चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है मुझको।।
बारात लेकर आए तुम,दुल्हन ले जाने को।
सात फेरों के बंधन में बंध,माँग में सिंदूर सजाने को।।
विदा कर ले गए, डोली में बिठा नए ठिकाने पर।
अरमानों की दीप लिए,लाल जोड़े में पिए घर ।।
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आभा मिश्रा-कोटा राजस्थान
(स्वरचित एवं मौलिक रचना सर्वाधिकार सुरक्षित©®)
[07/08, 10:36 pm] Abh
Shashank मणि Yadava 'सनम'
10-Sep-2023 06:14 PM
Nice
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